भगवान गणेश के इस प्राचीन मंदिर का नाम डोडा गणपति मंदिर है। यह मंदिर बैंगलुरू के बसावनगुड़ी में है। कन्नड़ में डोडा का मतलब बड़ा होता है। ऐसे में देखा जाए तो इस मंदिर का अर्थ हुआ गणेश जी का बड़ा मंदिर। इस मंदिर में भगवान गणेश की एक विशाल मूर्ति है जो करीब 18 फीट ऊंची और 16 फीट चौड़ी है।
भगवान गणेश जी का एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां श्रृंगार फूलों से नहीं बल्कि मक्खन से किया जाता है। यह मंदिर बैंगलुरू में है। इस मंदिर में दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से लोग जाते हैं। आज की धार्मिक यात्रा में हम आपको इसी मंदिर के बारे में विस्तार से बताएंगे। इस अनोखे मंदिर का इतिहास टीपू सुल्तान से भी जुड़ा हुआ है।

इस प्राचीन मंदिर का नाम है डोडा गणपति मंदिर
भगवान गणेश के इस प्राचीन मंदिर का नाम डोडा गणपति मंदिर है। यह मंदिर बैंगलुरू के बसावनगुड़ी में है। कन्नड़ में डोडा का मतलब बड़ा होता है। ऐसे में देखा जाए तो इस मंदिर का अर्थ हुआ गणेश जी का बड़ा मंदिर। इस मंदिर में भगवान गणेश की एक विशाल मूर्ति है जो करीब 18 फीट ऊंची और 16 फीट चौड़ी है. खास बात है कि इस मंदिर में भगवान गणेश जी की प्रतिमा काले रंग के एक ही ग्रेनाइट पत्थर पर उकेरी गई है।
कब हुआ था इस मंदिर का निर्माण?
भगवान गणेश जी का यह मंदिर बैंगलुरू के नंदी मंदिर के ठीक पीछे है। नंदी मंदिर के बारे में दावा किया जाता है कि यहां विश्व में सबसे बड़ी नंदी की मूर्ति स्थापित है। ऐसा कहा जाता है कि डोडा गणपति मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति स्वयंभू है। यह मंदिर वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। इस मंदिर का निर्माण गौड़ शासकों ने 1537 के आसपास करवाया था। मंदिर में आपको प्राचीन दक्षिण भारतीय वास्तुकला देखने को मिलेगी। मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेशजी की काले रंग की प्रतिमा है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विचित्रता यही है कि यहां फूलों का नहीं बल्कि मक्खन से भगवान का श्रृंगार होता है। इस मंदिर में भगवान गणेश का श्रृंगार 100 किलो मक्खन से किया जाता है। इस सजावट को ‘बेन्ने अलंकार’ कहा जाता है। इतना ही नहीं, यहां भगवान गणेशजी की मूर्ति पर लगाया गया मक्खन कभी नहीं पिघलता है। भगवान की मूर्ति पर लगाए गये मक्खन को भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। कहा जाता है कि टीपू सुल्तान के सेनापति ने इस मंदिर में बैठकर अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनायी थी।

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