लखनऊ। अन्नदाताओं के बीच कृषि कानूनों के फायदे और उसे लेकर भ्रम दूर करने में जुटी योगी सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। इसका सीधा फायदा प्रदेश के लाखों किसानों को मिलेगा। सरकार ने धान क्रय केन्द्रों, गन्ना खरीद केन्द्रों और गोआश्रय स्थलों के लिए सीधे फील्ड में वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ से हर जनपद में नोडल अफसर भेजे हैं। ये वरिष्ठ अफसर धान क्रय केन्द्र, गन्ना खरीद केन्द्र और गोआश्रय स्थलों का निरीक्षण करेंगे और सीधे मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। मुख्यमंत्री ने सख्त आदेश दिया है कि धान क्रय केन्द्र, गन्ना खरीद केन्द्र या गोआश्रय स्थलों पर अगर गड़बड़ी मिली तो जवाबदेही तय होगी। उन्होंने कहा कि लापरवाहों पर होगी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। दरअसल किसान आन्दोलन को लेकर विपक्ष जहां हर रोज नए पैंतरे अपनाकर सियासत करने में जुटा है, वहीं योगी सरकार अपने कार्यों के जरिए किसानों को सीधा लाभ पहुंचाकर इसका जवाब देने में जुट गई है। अपर मुख्य सचिव, सूचना नवनीत सहगल के मुताबिक प्रदेश सरकार किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के लिए कृतसंकल्पित है। कुछ दिन पूर्व प्रदेश के सभी धान क्रय केन्द्रों की जांच करायी गयी थी। जो भी कर्मचारी व अधिकारी इसमें गड़बड़ी कर रहे थे व किसानों के साथ र्दुव्यवहार कर रहे थे। उनके खिलाफ कार्रवाई की गयी और यह प्रक्रिया निरन्तर जारी है। किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनके धान की खरीद की जा रही है। अब तक किसानों से 446.4 लाख कुन्तल से अधिक धान की खरीद की जा चुकी है। जो पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में डेढ़ गुना अधिक है। साढ़े तीन वर्ष में 180 मीट्रिक टन धान तथा 170 मीट्रिक टन गेहूं किसानों से खरीदा गया है इस प्रकार 60 हजार करोड़ रुपये की फसल किसानों से खरीदी जा चुकी है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के अन्तर्गत अब तक प्रदेश के 2.30 करोड़ किसानों को पिछले साढ़े तीन वर्ष में लगभग 28 हजार करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि उनकी बैंक खातों में हस्तान्तरित की गई है। इसके अतिरिक्त साढ़े तीन वर्षों में गन्ना किसानों को 1,12,000 करोड़ रुपये का रिकार्ड भुगतान किया गया है। वहीं प्रदेश सरकार गोआश्रय स्थलों के जरिए भी किसानों के जीवन में खुशहाल लाने में जुट गई है। यहां सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं और खामियां पाये जाने पर कार्रवाई की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए गोबर से सीएनजी बनाने की दिशा में कार्य किया जाए। जिन गोआश्रय स्थलों में एक हजार गोवंश हैं, वहां सीएनजी बनाने के लिए इण्डियन ऑयल काॅरपोरेशन से बात की जाए। सीएनजी के उत्पादन से ये गोआश्रय स्थल आय के केन्द्र बन सकते हैं। इसे ध्यान में रखकर योजना बनाई जाए। प्रदेश में गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना व संचालन नीति लागू की गई है। इस नीति के अन्तर्गत सभी जिलों में निराश्रित व बेसहारा गोवंश को गो-आश्रय स्थलों में संरक्षित कर उनकी सुरक्षा के लिए शेड का निर्माण कराया जा रहा है। साथ ही सुरक्षा, चारे की व्यवस्था, पशु चिकित्सा व हरा चारा, उत्पादन आदि कार्य कराये जा रहे हैं। पशुपालन विभाग के अनुसार प्रदेश में गोशालाओं का पंजीकरण ऑनलाइन करने की व्यवस्था की गई। विगत नवम्बर माह तक 545 गोशालायें पंजीकृत हो चुकी हैं। प्रदेश के 18 मण्डलों में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को मिलाकर कुल 5158 अस्थायी—स्थाई गोआश्रय स्थल, कान्हा उपवन, कांजी हाउस व वृहद गोसंरक्षण केन्द्रों में कुल 52,0591 गोवंश के पशुओं को संरक्षित किया गया। संरक्षित गोवंश के भरण-पोषण के लिए राज्य सरकार वर्ष 2020-21 में अब तक 13200.00 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की जा चुकी है। इस तरह राज्य सरकार किसानों के हितों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और किसानों की समस्या का निदान प्राथमिकता से सुनिश्चित करने के निर्देश अधिकारियों को दिये गये हैं।

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