महेश्वर का यें किला मध्य प्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 59 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। महेश्वर का अहिल्या फोर्ट अपनी अद्भुद नक्काशी और सुंदरता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. यहां का अहिल्या घाट इतना सुंदर है कि बस घंटो तक निहारते रहने का मन करता है। चारों ओर भगवान शिव के छोटे-बड़े मंदिर हर जगह दिखाई देते हैं. जो हमेशा भक्ति का रसपान कराते है। किले के सामने नर्मदा नदी अपने पूरे तीव्र वेग के साथ प्रवाहित होती है। जिसके किनारे बैठने से मन को अपार शांति की अनुभूति होती है। इसी अनुभूति की प्राप्ति और किले को निहारने के लिए देश-विदेश से रोजाना यहां हजारों पर्यटक और श्रद्धालु आते है। बताया जाता है कि महेश्वर को अपनी राजधानी बनाने के साथ ही 1700 ई. में होलकर स्टेट की महारानी देवी अहिल्या बाई होलकर ने इस किले का निर्माण करवाया था। ये किला आज भी होलकर राजवंश तथा रानी अहिल्याबाई के शासनकाल की गौरव गाथा का बखान करता प्रतीत होता है।
महेश्वर के बस स्टैंड से मुख्य एमजी मार्ग से होते हुए जब आप नर्मदा मार्ग से किले पर पहुचेंगे तो प्रवेश के लिए घाट के पास से ही एक चौड़ा घेर लिए बहुत सारी सीढ़ियां बनी हुई पाएंगे। यह किला जितना सुंदर बाहर से है उससे कहीं ज्यादा सुंदर तथा आकर्षक अंदर से लगता है। किले पर की गई सुंदर कारीगरी और शिल्पकारी के साथ ये किला इतना मजबूत है की आज भी किला नया जैसा लगता है।
भगवान शिव का है बड़ा मंदिर
किले के झरोखों, दरवाजों एवं दीवारों और मंदिरों के गुंबजो पर कलाकृतियां उकैरी है. अंदर कुछ कदमों की दूरी पर ही भगवान शिव का बड़ा मंदिर है। मंदिर के छज्जे और दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है. यहां दीप सिखाओ का भी निर्माण किया गया है. यहीं पर श्री राम मंदिर भी मौजूद है. इसके अलावा किला परिसर में ही राजराजेश्वर मंदिर, विठलेश्वर और अहिलेश्वर मंदिर भी है. यें मंदिर भी किले की तरह आज भी पूरी तरह सुरक्षित है।
देवी अहिल्याबाई का पूजा स्थल
इसी के साथ राजबाड़ा परिसर में देवी अहिल्या बाई का पूजा स्थल दर्शनीय है। यहां देवी अहिल्याबाई का पूजा स्थल है. जहां पर अनेकों धातु के तथा पत्थर के अलग-अलग आकार के शिवलिंग, कई सारे देवी देवताओं की प्रतिमाएं और एक सोने का बड़ा सा झूला है, जो यहां का मुख्य आकर्षण है। जिस पर भगवान कृष्ण की प्रतिमा को बिठाकर अहिल्याबाई होल्कर झूला दिया करती थी। इन सारी प्रतिमाओं तथा शिवलिंगों को एक कक्ष में संग्रहित करके रखा गया है. इस कक्ष में प्रवेश पर पूर्णता निषेध है।
अहिल्या फोर्ट दिया गया नाम
किले के अंदर राजबाड़ा में रानी अहिल्याबाई की राजगद्दी पर बैठी एक मनोहरी प्रतिमा रखी गई है। यहीं उनकी पालकी, शस्त्र और कई मूर्तियां भी देखने को मिलती है। राजगद्दी के पास ही होलकर शासकों की तस्वीरें और उनके कार्यकाल का उल्लेख मिलता है। राजबाड़ा परिसर में ही एक आलीशान महल है, जो कभी होलकर राजवंश के शासको का निजी आवास हुआ करता था, लेकिन अब इस महल को एक हेरिटेज होटल का रूप दे दिया गया है। यहां आपको तीन सितारा होटल के समकक्ष सुविधाएं मिलती है। किले की सबसे ऊपरी इमारत पर स्थित इस होटल को होटल अहिल्या फोर्ट नाम दिया गया है। प्रिंस रिचर्ड होलकर इसके मालिक है और वहीं इसका प्रबंधक का काम भी देखते है. यहां लगभग 6 से 7 हजार रुपये प्रतिदिन का भुगतान करके आप रुक सकते है। किले के अलावा महेश्वर में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है जहां आप जा सकते है।
कैसे पहुंचे ?
महेश्वर का यें किला मध्य प्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 59 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। यें क्षेत्र नेशनल हाइवे क्रमांक 3 (आगरा मुंबई राजमार्ग) से पूर्व दिशा में 13 किलोमीटर अंदर की ओर बसा हुआ है. इंदौर से महेश्वर मात्र 91 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सड़क मार्ग से आप यहां आसानी से पहुंच सकते है. इंदौर से बस द्वारा यहां आ सकते हैं।

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