वैसे तो देश भर होली का त्योहार दो दिन का मनाया जाता है. इनमें एक दिन होलिका दहन और दूसरा दिन रंग वाली होली है। इस बार रंगवाली होली 25 मार्च 2024 को खेली जाएगी, लेकिन श्री कृष्ण और राधा रानी की नगरी कहे जाने वाले मथुरा वृंदावन में 40 दिन तक होली चलती है. यहां देश ही नहीं विदेशों से भी लोग होली खेलने पहुंचते हैं। इन्हीं के बीच में मौजदू ब्रज में लट्ठमार होली से लेकर लड्डूओं की होली बेहद मशहूर है। रंगों की होली खेलने से पहले यहां की महिलाएं और पुरुष लट्ठमार होली खेलती है। इसमें महिलाएं पुरुषों पर लट्ठमार बरसाती हैं।
इस बार होली का त्योहार 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा. 24 को होलिका दहन और 25 मार्च को रंगवाली होली खेली जाएगी. वहीं मथुरा वृंदावन में होली की शुरुआत हो चुकी है। यहां एक एक दिन लड्डूमार होली से लेकर फूलों की होली, पानी की रंग की और लट्ठमार होली खेली जाएगी। इस बार लट्ठमार होली 18 मार्च 2024 को खेली गई। इसमें महिलाएं पुरुषों पर लट्ठ बरसाती हैं।
मथुरा वृंदावन में लट्ठमार होली की परंपरा द्वापर युग से है. इस दिन नंदगांव के ग्वाल बाल होली खेलने के लिए बरसाने जाते हैं. यहां पर गांव की महिलाएं उन पर लाठी बरसाती हैं। कहा जाता है कि यह होली भगवान श्रीकृष्ण के युग से शुरू हुई थी। यहां भगवान श्री कृष्ण और उनके दोस्तों पर राधा और उनकी सखी सहेलियों ने जमकर लट्ठ बरासाये थे. तभी से यहां ये परंपरा अपनाई जाती है।
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को बरसाने में मनाई जाने वाली लट्ठमार होली के दिन नंदगांव के ग्वाल बालों के बरसाना होली खेलने आने के अवसर पर बरसाने की महिलाओं के हाथ में लट्ठ (लाठी) रहता है, और नंदगांव के पुरुष (गोप) राधा के मन्दिर लाडलीजी पर झंडा फहराने की कोशिश करते हैं, उन्हें बरसाना की महिलाओं के लट्ठ से बचना होता है। मान्यता है कि इस दिन सभी महिलाओं में राधा की आत्मा बसती है और पुरुष भी हंस- हंस कर लाठियां खाते हैं।
वैसे तो सम्पूर्ण भारत में होली का पर्व अत्यंत धूमधाम के साथ मनाया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश में वृन्दावन और मथुरा की होली का अपना अलग ही विशिष्ट महत्त्व है। मथुरा, वृन्दावन आदि क्षेत्रों में खेली जाने वाली इस अनोखी और परंपरागत होली- लठमार होली की बात ही निराली है। लट्ठमार होली भारत का एक प्रमुख त्योहार है। और यह राधा और श्रीकृष्ण के निवास स्थान के रूप में प्रसिद्ध क्रमशः बरसाना और नंदगांव में विशेष रूप से मनाया जाता है।
टन के हिसाब से राधा रानी के मंदिर से बरसाए जाते हैं लड्डू
एक दिन में टन के हिसाब से लड्डू बरसाए जाते हैं। इसके बाद बारी आती है लठमार होली की. नटखट होरियारे नंद गांव से बरसाना पहुंचते हैं। फाग गाते हैं और बरसाने की गोपी इन होरियारे पर प्रेम के लठ बरसाती है। लठमार ये तस्वीर लोगों को ब्रिज की तरफ खींचने को मजबूर करती है। हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को यहां लट्ठमार होली बड़े जोश और उमंग के साथ खेली जाती है। जिसका बकायदा निमंत्रण 1 दिन पहले बरसाना से नंदगांव भेजा जाता है। लठमार होली को देखने के लिए पर्यटक विश्व के कोने-कोने से मथुरा वृंदावन पहुंचते हैं।

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