राजस्थान का लगभग हर शहर किसी न किसी फोर्ट, पैलेस, हवेली या फिर भवन के लिए सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व मंच पर भी प्रसिद्ध है। प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल में निर्मित हवा महल, जैसलमेर फोर्ट, आगरा फोर्ट, एम्बर पैलेस, आमेर फोर्ट, जोधपुर फोर्ट, उदयपुर फोर्ट आदि हजारों किले प्रसिद्ध हैं। राजस्थान का ऐतिहासिक शहर जयपुर भी कई किलों के लिए प्रसिद्ध हैं। इस शहर में मौजूद जयगढ़ का किला भी अन्य किलो की तरह बेहद प्रसिद्ध है।
15वीं और 18वीं सदी के बीच बना जयगढ़ किला पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। आपको बता दें, इस किले को ’विजय किले’ के रूप में भी जाना जाता है, किले की संरचना और निर्माण आपको मध्यकालीन भारत की झलक देगी। उस समय किला खजाने की रक्षा करने के लिए जाना जाता था, यही नहीं आमेर की रक्षा प्रणाली के रूप में भी इस किले का इस्तेमाल किया जाता था। जयगढ़ फोर्ट को 1726 ईस्वी में सावन जय सिंह द्वितीय द्वारा बनाया गया था, जो समुद्र तल से कई सौ फीट ऊपर है। ये किला लगभग विशाल दीवारों से घिरा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि किला जयपुर के सबसे मजबूत स्मारकों में से एक है।
आप आमेर किले में कहीं भी हो, जयगढ़ फोर्ट की एक खासियत ये है कि आप यहां की बड़ी-बड़ी दीवारों को कहीं से भी देख सकते हैं। दीवारों का कोई अंत नहीं है, दूर-दूर तक इसकी विशाल दीवारों को देखा जा सकता है। ये मूल रूप से बलुआ पत्थरों से बनी हैं और 3 किमी के क्षेत्र को कवर करती हैं।

जयगढ़ फोर्ट का इतिहास
जयगढ़ किले का इतिहास बेहद ही दिलचस्प रहा है। लोगों का कहना है कि जयगढ़ किला जयपुर का सबसे मजबूत किला हुआ करता था और यहां युद्ध के लिए असलहा-बारूद रखा जाता था। 18वीं शताब्दी में निर्मित इसे किले में उस समय दुनिया की सबसे बड़ी तोप मौजूद थी और युद्ध के दौरान इसके डर से विरोधी भाग खड़े होते थे। इस किले का नाम सवाई जय सिंह द्वितीय शासक के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि मुग़ल शासन के दौरान यह किला मुख्य तोप फाउंड्री के लिए जाना जाता था और यहां से अन्य शहरों में तोप भेजें जाते थे।
फोर्ट से जुड़े रोचक तथ्य
शायद, आपको यक़ीन ना हो लेकिन, स्थानीय लोगों और कई इतिहासकारों का मानना है कि जयगढ़ किले में एक खजाना था, जिससे जयसिंह ने जयपुर शहर का विकास किया। लेकिन, आजतक उस खजाने तक कोई नहीं पहुंच पाया है। कहा जाता है कि कई इतिहासकार इस खजाने को खोजते रह गए और आज तक नहीं मिला। जयगढ़ किला और उसके खजाने का रहस्य हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देता है। लगभग हर कोई यह ज़रूर जानना चाहता है कि इस खजाने का रहस्य कब सुलझ पाएगा।
अपने सुनहरे दिनों के दौरान, ये किला आमेर फोर्ट की रक्षा के रूप में खड़ा था, लेकिन उस दौरान ये फोर्ट अपनी कुछ रोचक चीजों के लिए फेमस हुआ था, जिसे कई लोग अफवाह भी मानते हैं। 1977 में आपातकाल के दौरान, ये किला राजनीतिक उथल-पुथल के बीच भी काफी रहा था। उस समय एक ऐसी सूचना फैली थी कि इस किले की टंकियों और परिसर में भारी मात्रा में खजाना छिपा हुआ है। ये सुनने के बाद तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने तलाशी अभियान शुरू करवाया। उस दौरान गायत्री देवी जेल में थीं और इंदिरा गांधी को भी वो समय खजाना ढुंढवाने के लिए सही समझा। लेकिन ये बहस अभी भी बनी हुई है कि क्या इंदिरा गांधी को खजाना मिला था या तलाशी अभियान व्यर्थ रहा था।

किले की वास्तुकला
जयगढ़ किला एक विशाल रेंज में फैली हुई आकर्षण संरचना है। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित यह महल कई चीजों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। इस फोर्ट के अंदर ललित महल, विलास मंदिर जैसे कुछ खास वास्तुशिल्प हैं। इस परिसर में राम हरिहर और भैरव मंदिर 10 वीं शताब्दी में निर्मित किए गए थे। जयगढ़ फोर्ट में मौजूद कोर्ट रूम और हॉल को शानदार खिड़कियों द्वारा सजाया गया है। इस फोर्ट के पास सागर झील है, जो हर किसी को मोहित कर सकती है। आपको बता दें कि यहां मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी तोप जो ’जयवान तोप’ के नाम से भी प्रसिद्ध है।
फोर्ट में घूमने का समय
ंरेगिस्तानी राज्य होने के चलते गर्मियों के मौसम में यहां का तापमान काफी ज्यादा होता है इसलिए यहां सर्दियों के मौसम में घूमने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। यहां आप नवंबर से लेकर फ़रवरी के बीच कभी भी घूमने के लिए जा सकते हैं। जयपुर में आप हवा महल, आमेर फोर्ट, सिटी पैलेस आदि बेहतरीन जगह भी घूमने के लिए जा सकते हैं। जयगढ़ फोर्ट के आसपास आप घेवर, इमरती, हलवा, चोइर्मा, गजक आदि स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ़ भी उठा सकते हैं।

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