– दुधवा टाइगर रिजर्व का 13 फीसदी हिस्सा वेटलैंड, बड़ी संख्या में आते हैं प्रवासी परिंदे
मेरी जुबान संवाददाता
लखीमपुर खीरी।
तराई की वेटलैंड (आर्द्रभूमि) इतनी खास है कि दुनिया भर के ठंडे देशों से रंग बिरंगे परिंदे तराई के जलाशयों में खिंचे चले आते हैं। इसीलिए इस दिन पक्षी महोत्सव भी मनाया जाता है। दुधवा टाइगर रिजर्व समेत पूरे लखीमपुर खीरी जिले में नदियों, झीलों, छोटे बड़े तालाबों की भरमार है। यही कारण है कि तराई का यह जिला इतना हरा भरा है। जलाशयों में पाए जाने वाले असंख्य जलीय जीव दुधवा टाइगर रिजर्व जलीय जैव विविधता से समृद्ध है। इस दिन पक्षी महोत्सव भी मनाया जाता है।
दुधवा टाइगर रिजर्व में सुहेली, उल्ल और गेरुआ नदियों के अलावा झादी ताल, भादी ताल, बांकेताल, नगरिया झील जैसी बड़ी झीलें और सैकड़ों की संख्या में तालाब है। यदि दुधवा टाइगर रिजर्व की बात करें तो इसके कुल क्षेत्रफल का 13 प्रतिशत हिस्सा वेटलैंड हैं, जो वन्यजीवों की प्यास बुझाने के साथ साथ यहां के भूगर्भ जलस्तर को बनाए रखता है।
इन जलाशयों में मगरमच्छ, घड़ियाल, सैकड़ों प्रजातियों की मछलियां, विभिन्न प्रजातियों के जलीय पक्षी मौजूद हैं। इसके अलावा ठंडे देशों से विभिन्न प्रजातियों के जलीय पक्षी सर्दियों के मौसम में प्रवास के लिए आते हैं। इसके अलावा इन जलाशयों में विभिन्न प्रजातियों की जलीय वनस्पतियां भी हैं। प्रत्येक मौसम में अच्छे जलाशयों के कारण ही दुधवा टाइगर रिजर्व में वन्य जीवों के लिए पानी की पर्याप्त उपलब्धता है।
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अब दुधवा के वेटलैंड का भी होगा वैज्ञानिक प्रबंधन
दुधवा टाइगर रिजर्व के तराई एलिफैंट रिजर्व बन जाने के बाद अब दुधवा टाइगर रिजर्व के वेटलैंड का बेहतर ढंग से वैज्ञानिक प्रबंधन किए जाने का निर्णय लिया गया है ताकि जलाशयों को जंगली हाथियों के अनुकूल बनाया जा सके।
इसके तहत यह कार्य होने हैं –
– जलाशयों को गहरा किए जाने से लेकर अवांक्षित वनस्पतियों को हटाना।
– अवांक्षित जलीय खरपतवार और वनस्पतियों जैसे जलीय वनस्पतियों को हटाकर प्राकृतवास को सुरक्षित करना।
– वाटर होल की गहराई बढ़ाकर प्राकृतिक स्त्रोत तक पहुंचना ताकि जलाशय हमेशा भरे रहें।
– गर्मियों के मौसम में जलाशयों को भरा जाना।
– नदियों और झीलों की सिल्ट सफाई कराना।
– ऐसे वाटर होल जिनका पानी गर्मियों के मौसम में सूख जाता है वहां सोलर पावर पंप लगाए जाएंगे ताकि बिना किसी शोर के पानी भरा जा सके। पानी भरते समय वन्य जीवों के प्राकृतवास में व्यवधान न हो।

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दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर ललित कुमार वर्मा ने बताया कि दुधवा टाइगर रिजर्व के जलाशयों का समय समय पर प्रबंधन किया जाता है। तराई हाथी रिजर्व बन जाने के बाद अब वेटलैंड्स को हाथियों के अनुकूल बनाने के लिए जलाशयों का वैज्ञानिक प्रबंधन किए जाने की तैयारी की जा रही है। जल्दी ही वेटलैंड मैनेजमेंट का काम बड़े पैमाने पर शुरू किया जाएगा।

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