मेडिकेयर हॉस्पिटल पर पीड़ित दिनेश शुक्ला ने लगाये गंभीर आरोप
जिलाधिकारी और सीएमओ से पीड़ित ने लगाई न्याय की गुहार, कार्रवाई शून्य

जिला संवाद्दाता शिवम पटेल
लखीमपुर-खीरी। जिले के ज्यादातर निजी अस्पताल सरकारी डाक्टर के भरोसे संचालित हैं नर्सिगहोम और प्राइवेट अस्पतालों में सरकारी डाक्टर आपरेशन से लेकर ओपीडी तक संभाल रहें हैं। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भले ही सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने को लेकर सख्त हैं, लेकिन जनपद खीरी में सब कुछ स्वास्थ्य विभाग की रंजामंदी से चल रहा है। सीएमओ ने सब कुछ जानते हुए भी आंखे बंद कर रखी है। शासन द्वारा जारी शासनादेशों का मखौल उड़ाते देखना है तो आइए हम आपको ले चलते हैं स्वास्थ्य महकमे में जहां पर सीएमओ की नाक के नीचे शासन द्वारा जारी शासनादेश का मखौल उड़ाते हुए सरकारी डाक्टर सर्जन सुनील (जेल चिकित्सा अधिकारी) द्वारा शहर में धड़ल्ले से प्राइवेट प्रैक्टिस कर कानूनों की खुलेआम धज्जियां उडाई जा रहीं हैं।
जिला कारागार में तैनात चिकित्सा अधिकारी डाक्टर सुनील द्वारा मेडिकेयर हास्पिटल में थाना फूलबेहड़ क्षेत्रान्तर्गत गांव सरवा निवासी दिनेष कुमार शुक्ला अपनी पत्नी लक्ष्मी की डिलीवरी के लिए आए थे। उन्होंने बताया कि दिनांक 01/05/2021 को दर्द होने पर मेडिकेयर हास्पिटल में भर्ती कराया। हास्पिटल में मौजूद अपने आप को एमडी बताने वाले शाहिद अंसारी जो अस्पताल के प्रबंधक हैं व डॉ पूजा (स्त्री एवं प्रसूति रोग विषेशज्ञ) ने बताया कि ऑपरेषन करना पड़ेगा अन्यथा बच्चे की जान को खतरा है। दिनेश ने आपरेषन करने की सहमति दी जिसपर शाहिद ने सरकारी डाक्टर सर्जन सुनील (जेल चिकित्सा अधिकारी) को बुलाकर आपरेषन कराया। आपरेशन से महिला ने बच्चे को जन्म दिया उसके बाद महिला के शरीर में ब्लड की कमी को देख हास्पिटल के एमडी शाहिद ने ब्लड चढ़ाने के लिए 20,000 रूपये जमा कराये। और ब्लड रात लगभग 9ः00 बजे आ गया लेकिन हास्पिटल में ब्लड रखने की उचित व्यवस्था ना होने के चलते ब्लड संक्रमित हो गया। वहीं संक्रमित ब्लड अल सुबह महिला को चढ़ा दिया गया। महिला की हालत बिगड़ते देख हास्पिटल के सारे डाक्टर रफूचक्कर हो गए और वार्ड बाय शीबू से फोन पर बात कर डाक्टर ने महिला को लखनऊ रेफर कर दिया जिसके बाद महिला की रास्ते में मौत हो गई। उक्त मामले का खुलासा तब हुआ जब एक शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी, सीएमओ, कोतवाली सदर में प्रार्थना पत्र देता डाक्टर सुनील के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। शिकायतकर्ता के अनुसार उसके के पास वीडियो साक्ष्य के रूप में मौजूद है शासन द्वारा जारी शासनादेश पर गौर किया जाए तो कोई भी सरकारी चिकित्सक व अन्य कर्मी प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकता तथा रोगी का इलाज नहीं कर सकता इसके बावजूद नियम कानून का खुलेआम धता बताकर फर्जी तरीके से चलाए जा रहे बगैर पंजीकृत अस्पताल पर कार्यवाही नहीं की जा रही लोगों की जुबानी सत्य माने तो डाक्टर शाहिद अंसारी के अस्पताल के प्राइवेट कर्मचारियों की एंबुलेंस कर्मचारियों से सेटिंग बना रखी है जो मरीज लेकर आते हैं जिसके बदले उनको तयशुदा एक मोटी रकम मरीजों से वसूल कर दी जाती है। इस गोरखधंधे में चिकित्सा अधिकारी डाक्टर सुनील भी शामिल है।

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