लखनऊ। कोरोना व अन्य कारणों से लखनऊ जिले में होने वाली मौतों ने मई के 15 दिनों में ही अपना रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस माह के इन दिनों में सबसे अधिक 4802 मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुए हैं, जबकि मार्च में यह आंकड़ा 3870 था। संक्रमण की रफ्तार बढ़ने के बाद जिले में डेढ़ महीने में (एक अप्रैल से 15 मई) तक 7890 मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुए हैं। वहीं, इससे पहले 15 फरवरी से 31 मार्च तक 5970 प्रमाणपत्र जारी हुए थे। जारी प्रमाणपत्रों के अनुसार मरने वालों में महिलाओं की संख्या करीब चालीस प्रतिशत है।
कोरोना की दूसरी लहर के बाद जिले में मौतों का ग्राफ बढ़ा है। तमाम लोगों की मौत घरों पर ही अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद हुई है। हालांकि, तमाम मौतों को लेकर वजह साफ नहीं है। इसका कारण है कि मरीज की न तो कोरोना जांच हो पाई और न ही उन्हें अस्पताल में बेड मिल सका। वहीं, प्रमाणपत्र जारी करने वाले सीएमओ भी यह जानकारी देने से कतरा रहे हैं कि बीते दो महीने में कितने मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुए। हालांकि, जिनकी मौत अस्पतालों में या घरों पर हुई उनके परिवारीजन को प्रशासन ने मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए हैं। इसका सच उस सिस्टम पर दर्ज है जिससे प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं। वहीं, जानकार बताते हैं कि यह ग्राफ और बढ़ेगा क्योंकि कोरोना कर्फ्यू के कारण काफी मृतकों के परिवारीजन उनका मृत्यु प्रमाणपत्र बनवा नहीं पाए हैं।
अप्रैल में कोरोना की गंभीरता की गवाही बीते डेढ़ महीने में जारी मृत्यु प्रमाणपत्र के आंकड़े भी देते हैं। एक अप्रैल से 15 मई तक 7890 मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुए, जबकि 15 फरवरी से 31 मार्च तक यह आंकड़ा 5970 था। बीते ढाई माह में जिले में 13,313 मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुए हैं, जिसमें महिलाओं की संख्या 4752 है। एक ट्रांसजेंडर का भी मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुआ है।
कब, कितने मृत्यु प्रमाणपत्र जारी
01 से 31 मार्च तक -3870
01 से 30 अप्रैल तक -4641
01 से 15 मई तक – 4802