लखीमपुर खीरी। दुनिया में सबसे अधिक संख्या में बारहसिंगा सहेजने का गौरव रखने वाले दुधवा टाइगर रिजर्व के बारहसिंगा की डीएनए प्रोफाइल तैयार करने का काम जल्दी ही शुरू होने जा रहा है। इसका मकसद यहां के बारासिंगा के आनुवांशिक स्वास्थ्य और वृद्धि दर का पता लगाना है। जिसकी तुलना देश के अन्य हिस्सों में खासकर गंगा बेसिन में स्थिति हस्तिनापुर सेंक्चुरी के बारासिंगा के आनुवांशिक स्वास्थ्य से करना है।

वर्ष 1977 में दुधवा टाइगर रिजर्व की स्थापना ही बारहसिंगा के संरक्षण के लिए की गई थी। दुनिया भर में सबसे अधिक संख्या में बारहसिंगा एक साथ दुधवा टाइगर रिजर्व में वास करते हैं। यह इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। एक अन्य कारण से भी दुधवा टाइगर रिजर्व अन्य टाइगर रिजर्व से इसलिए भी विशिष्ट है कि यहां पर हिरनों की पांच प्रजातियां बारहसिंगा,पाढ़ा,चीतल,सांभर और कांकड़ एक साथ पाई जाती हैं। एक जगह पर एक साथ हिरनों की पांच प्रजातियों का मिलना दुर्लभ हैं। हाल ही में गंगा बेसिन में स्थिति हस्तिनापुर सेंक्चुरी में भी बड़ी संख्या में बारहसिंगा मिले हैं। अब इनकी नस्लों का पता लगाने के साथ इनकी सेहत का लेख-जोखा भी तैयार किया जाएगा।

भारतीय वन्यजीव संस्थान ( डब्ल्यूआईआई) देहरादून के वैज्ञानिक शारदा बेसिन में स्थित दुधवा नेशनल पार्क के बारहसिंगों की डीएनए प्रोफाइल तैयार कर ह‌स्तिनापुर सेंक्चुरी के बारासिंगा की नस्लों से मिलान करेगा। साथ ही दोनों जगह पर मिलने वाले बारासिंगा के आनुवांशिक स्वास्थ्य का भी डेटा तैयार करेगा। डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिक दोनों जगहों पर बारासिंगा के ग्रोथ रेट का भीआंकलन करेंगे। अभी यह टीम पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बारासिंगा की डीएनए प्रोफाइल तैयार करने में लगी है। इसके बाद दुधवा टाइगर रिजर्व में भी बारासिंगा की डीएनए प्रोफाइल तैयार करने का काम शुरू होगा। यहां इस काम में चार से पांच महीने का समय लगेगा। बारहसिंगा की गिरने वाली सींगों और मल-मूत्र से डीएनए प्रोफाइल बनेगी। पीटीआर के बारासिंगा की डीएनए प्रोफाइल तैयार की जा रही है। इसके बाद वहां से डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिक सम्राट मंडल,विश्वास पांडेय के नेतृत्व में छह सदस्सीय टीम दुधवा रवाना होगी।

दुधवा टाइगर रिजर्व के मुख्य वन संरक्षक / फील्ड निदेशक संजय पाठक ने बताया कि बार‌ासिंगा की डीएनए प्रोफाइल तैयार होने से दुधवा में पाए जाने वाले बारासिंगा के आनुवांशिक स्वास्थ्य का पता लगाया जा सकेगा। दुधवा के जंगल में जिस जिस जगह पर यह बारासिंगा मौजूद हैं उस जगह की पारिस्थितिकी कितनी अनुकूल है यह भी पता लगाया जा सकेगा। जिससे ईको सिस्टम में आई खामियों को भी दूर किया जा सकेगा। इससे इनके संरक्षण और संवर्धन में भी मदद मिलेगी। दुधवा में बारासिंगा की डीएनए प्रोफाइल तैयार करने में चार से पांच माह का समय लगेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *